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इस प्रकार वाच्य को हम कथन के कहने का ढंग मान सकते हैं। कथन
निपातों का प्रयोग कही गई बात पर बल देने के लिए किया जाता है।
१. विस्मय बोधक ( आश्चर्य भाव ) -- अरे! हें! क्या! हे भगवान!
'समुच्चय' का शाब्दिक अर्थ है -- जोड़ा। समुच्चयबोधक अव्यय जोड़ा बनाने वाले शब्दों को
यह स्मरण रहना चाहिए कि प्रत्येक संबंधबोधक अव्यय से पूर्व उपयुक्त परसर्ग अवश्य लगाया
परिभाषा :- वे शब्द, जो क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रिया विशेषण
दुआ यही हम करते हैं,
तारीफ़ तुम्हारा साया हो।
हर मौके-दर-मौके पर,
तारीफ़ ने
व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्य में जिन पदों ( शब्दों ) से कार्य
संज्ञा तथा ( अथवा ) सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को 'विशेषण' कहते
सर्वनाम के भेद : सर्वनाम के भेद कुछ इस प्रकार गिनाए जाते हैं
एक मास, दो मास.... ; मास-प्रति-मास व्यतीत होने लगे ; इस आशा में
तो इस प्रकार संज्ञा 'नाम' है; 'पहचान' है; 'परिचय' है । किसी भी व्यक्ति,
यह प्रार्थना मुझे अत्यंत प्रिय है। मेरे स्कूल में प्रतिदिन हुआ करती थी। ….
समास -- का शाब्दिक अर्थ है -- छोटा करना या संक्षिप्त करना। एक बड़े
विसर्ग का 'ओ' बन जाना -- यदि विसर्ग 'अ' के साथ हो, तथा '+'
३. 'त' संबंधी नियम - क. यदि '+' चिह्न के पहले 'त् ' हो
हंस को थोड़ी राहत मिली। उसने आँखें खोल दीं। उतनी देर में वहाँ देवदत्त
४. वृद्धि संधि :- विपरीत स्वरों में से एक अथवा दोनों के दीर्घ रूप