विशेषण ( व्याकरण से आंशिक )

प्रिय विद्यार्थियो!

व्याकरण से आंशिक- की पूर्व कड़ी में हमने ‘सर्वनाम’ विषय पर संक्षिप्त चर्चा की थी। आज की कड़ी में हम ‘विशेषण’ विषय पर थोड़ा प्रकाश डालेंगे।

यदि आप किसी भी व्याकरण पुस्तक में विशेषण की परिभाषा पढ़ें, तो वह लगभग ऐसी होगी — संज्ञा तथा ( अथवा ) सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को ‘विशेषण’ कहते हैं। विशेषण जिस शब्द की विशेषता बताते हैं, उसे ‘विशेष्य’ कहते हैं। ( संज्ञा अथवा सर्वनाम ) ‌‌ उदाहरण — तपती गर्मी। ‌‌’तपती’ — विशेषण; ‌‌‌‌’गर्मी’ — विशेष्य ठंडा पानी। ‘ठंडा’ — विशेषण; ‘पानी’ — विशेष्य ‌‌ प्रविशेषण — ऐसे विशेषण जो विशेषणों की भी विशेषता बताएँ, उन्हें ‘प्रविशेषण’ कहते हैं। उदाहरण — बहुत ठंडा पानी- ऊपर के उदाहरण से तालमेल बिठाने पर ‘बहुत’ प्रविशेषण है क्योंकि वह विशेषण ‘ठंडा’ की विशेषता बता रहा है। इसी प्रकार – अत्यंत तपती गर्मी। प्रस्तुत उदाहरण में – ‘अत्यंत’ प्रविशेषण है क्योंकि वह विशेषण ‘तपती’ की विशेषता बता रहा है।

यह तो हुई संज्ञाओं संग विशेषणों की बात ; अब तनिक सर्वनाम व विशेषण के संबंधों पर दृष्टि डालते हैं। सर्वनामों के कुछ उदाहरण देखिए– तुम बहादुर हो। प्रस्तुत उदाहरण में ‘बहादुर’ विशेषण ‘तुम’ सर्वनाम की विशेषता बता रहा है। अतः ‘तुम’ विशेष्य है।

इसी वाक्य को इस प्रकार लिखते हैं– तुम बड़े बहादुर हो। अब इस वाक्य में ‘बड़े’ शब्द ‘बहादुर’ विशेषण की विशेषता बता रहा है। अतः ‘बड़े’ प्रविशेषण है।

अन्य उदाहरण — वह एक अकेला काफ़ी है। ‘अकेला’ — विशेषण; ‘एक’ — प्रविशेषण; ‘वह’ — विशेष्य। ‌‌

कौन बेचारा मजबूर आया होगा ? — ‘मजबूर’ — विशेषण; ‘कौन’ — विशेष्य; ‘बेचारा’ — प्रविशेषण।

विशेषण के भेद :-

१. गुणवाचक विशेषण :- ऐसे विशेषण जो संज्ञा व सर्वनाम के गुण, दोष, रंग, रूप, आकार, प्रकार, दशा, स्थिति, अवस्था, स्वाद, गंध आदि से जुड़ी विशेषता बताते हैं। जैसे — सुंदर, सुशील, होनहार, उदार ( गुण ), क्रूर, निर्दय, पापी, कपटी ( दोष ), गोरा, साँवला ( रंग ), मोहक, आकर्षक ( रूप ), गोल, चपटा ( आकार ), सुखी, दु:खी ( दशा ), सजीव, निर्जीव ( अवस्था ), मीठा, खट्टा ( स्वाद ), सुगंधित ( गंध ), स्वच्छ, बासी ( स्थिति ) आदि।

२. परिमाणवाचक विशेषण :- ऐसे विशेषण जो संज्ञा के भार, माप, नाप, दूरी, आदि की इकाई बताएँ। जैसे – ‌‌‌‌‌‌‌‌एक किलोग्राम (भार), सौ ग्राम (भार), एक लीटर (माप), एक किलोमीटर (दूरी), एक चम्मच शहद (माप), एक बोरा चावल (भार), एक पतीला दाल (माप), एक गिलास दूध (माप) आदि।

संख्यावाचक विशेषण :- ऐसे विशेषण जो संज्ञा की संख्या, क्रमांक, परिमेय संख्या/ बटा भाग आदि बताएँ। जैसे – एक, दो, तीन, चार…. (संख्या); पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा…. (क्रमांक); आधा, तिहाई, चौथाई…. (परिमेय/ बटा भाग) आदि।

( नोट : परिमाणवाचक तथा संख्यावाचक विशेषणों में निश्चित न अनिश्चित नामक दो उपभेद भी होते हैं। दोनों में ही ‘निश्चित’ उपभेद तो मूल भेद ही है, परंतु ‘अनिश्चित’ उपभेद में थोड़ा, बहुत, अधिक, इतना-सा, ज़रा-सा, तनिक भर, कुछ आदि का प्रयोग होता है। इनके परिमाणवाचक अथवा संख्यावाचक होने का पता इनके साथ जुड़ने वाली संज्ञा से लगता है। जैसे- थोड़ी दाल ( अनिश्चित परिमाणवाचक ), थोड़े फूल ( अनिश्चित संख्यावाचक )।

सार्वनामिक विशेषण :- जब सर्वनाम संज्ञा के ठीक पहले जुड़कर उसकी विशेषता बताते हैं, तब उन सर्वनामों को सार्वनामिक विशेषण कहा जाता है। इस प्रयोग में सर्वनाम संज्ञा की ओर संकेत भी करते हैं। अतः इन्हें संकेतवाचक विशेषण भी कहते हैं। सार्वनामिक विशेषणों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण नियम है, कि सर्वनाम तथा संज्ञा के बीच कोई अन्य व्याकरणिक पद नहीं आना चाहिए। दूसरे सर्वनाम संज्ञा के ठीक पूर्व में हो। जैसे- यह भवन निर्माणाधीन है। ‘यह’ ‘भवन’ के ठीक पूर्व में जुड़ा है। अतः ‘यह’ सार्वनामिक विशेषण है। यह एक निर्माणाधीन भवन है। ‘यह’ के बाद संज्ञा नहीं है। अतः ‘यह’ निश्चयवाचक सर्वनाम है।

विशेषणों पर ‘ने’ का प्रभाव :- विशेषणों के लिंग, वचन तथा कारक रूप संज्ञा के अनुसार चलते हैं। ‘ने’ कर्ता कारक का परसर्ग है। संज्ञा का रूप कर्ता कारक में ‘ने’ के साथ भूतकाल के कुछ उपभेदों में प्रकट होता है। अतः संज्ञा के साथ आए विशेषण का रूप भी ‘ने’ के साथ कर्ता कारक में भूतकाल में ही परिवर्तित होगा। जैसे- लड़के ने दौड़ लगाई। मोटे लड़के ने दौड़ लगाई।

विशेषणों की अवस्थाएँ :-

विशेषणों की तीन अवस्थाएँ मानी ग‌ईं हैं– मूलावस्था (मूल अवस्था), उत्तरावस्था, उत्तमावस्था। श्रेष्ठ, श्रेष्ठतर, श्रेष्ठतम।

प्रथम अवस्था साधारण अवस्था है। बालक लंबा है। मनु ने तीव्र घुड़सवारी की।

द्वितीय अवस्था तुलनात्मक अवस्था है। बालक बालिका से लंबा है। मनु ने नाना साहब से तीव्रतर घुड़सवारी की।

तृतीय अवस्था सर्वश्रेष्ठता दर्शाने हेतु है। बालक सबसे लंबा है। मनु ने सबमें तीव्रतम घुड़सवारी की।

विशेषणों की रचना :-

विशेषणों की रचना संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय आदि से होती है।

विशेषण के पाठ में यहीं तक। अधिक जानकारी हेतु विद्यार्थी कृपया उत्तम गुणवत्ता की‌ व्याकरण पुस्तकों से पाठ देखें।

….. श्री …..

इस अंक में ली गई छवि को हमने पिक्साबे साइट से साभार उद्धरित किया है।

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