पढ़ने की आदत कैसे डालें – 1

पढ़ने की आदत कैसे डालें – 1

आज थोड़ी सी अलग किस्म की पोस्ट | विचार आमंत्रित हैं |

आज के 10 – 12 साल पहले जब मैं CAT, IELTS, SAT, Bank PO वगैरह के लिए इंग्लिश पढ़ाती थी, तो एक सवाल मुझसे अक्सर पूछा जाता था | हम अच्छी रीडिंग हैबिट्स कैसे विकसित करें | शुरू शुरू में कोई 26 – 27 साल की मैं खुद, वयस्कों को पहली बार पढ़ा रही थी | मेरा कोई स्टूडेंट 21 साल से कम उम्र का नहीं था, इसलिए वो जवाब जो मैंने ग्यारहवीं, बारहवीं, के स्कूल जाने वाले बच्चों को Biology , Physics , और Chemistry पढ़ते समय दिए थे, वो जवाब इन विद्यार्थियों के लिए समुचित नहीं थे |

लेकिन एक चीज़ जो मुझे दोनों ही समय बहुत ही क्लियर थी, वो ये कि रीडिंग हैबिट्स का आपकी भाषा के चयन से कोई सम्बन्ध नहीं है | आप हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच, तमिल, तेलुगु, किसी भी भाषा में पढ़ें, अगर आपका पुस्तकों का चयन अच्छा है, और अगर आपको पढ़ने का सही तरीका आता है तो आपकी रीडिंग हैबिट्स अच्छी हैं |

आप अंग्रेजी पढ़ लेते हैं, लेकिन उसमें कूड़ा पढ़ते हैं, तो समस्या है | आप फ्रेंच का अख़बार तो पढ़ लेते हैं, लेकिन आपको मैनेजमेंट वोकैबुलरी फ्रेंच में काम लेनी नहीं आती, तो फ्रेंच कंपनी में मैनेजमेंट करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है, और आपको फ्रेंच में पढ़ने के लिए मैनेजमेंट सम्बन्धी पुस्तकें पढ़नी होंगी, नोवेल्स नहीं |

सो एक बात भाषा, और दूसरी बात ये कि आप अपनी रीडिंग हैबिट्स विकसित करना क्यों चाहते हैं ? अगर आपका ऑब्जेक्टिव मैनेजमेंट की पढाई करना है, तो बात अलग है | यदि आपका उद्देश्य नई भाषा सीखना है, तो बात अलग है | अगर आपका उद्देश्य अंग्रेज़ी सीख के किसी लड़के या लड़की को इम्प्रेस कर के अपना साथी बनाना है तो बात बिलकुल ही अलग है | आपको अगर किसी बाहर के देश जाना है और इसलिए अंग्रेजी सीखनी है तो बात कुछ और है, लेकिन अगर आपको अंग्रेज़ी लिटरेचर, उसके कल्चर का स्वाद लेना है, तो बात बिलकुल ही स्वान्तः सुखाय है |

तो जो आपकी शार्ट टर्म रीडिंग हैबिट्स हैं, उनके लिए पुस्तकों का चुनाव आपके शार्ट टर्म लैंग्वेज गोल पर निर्भर करेगा | लेकिन आपकी लॉन्ग टर्म रीडिंग हैबिट्स 2 चीज़ों पर निर्भर करेंगी – 1. consistency निरंतरता, और 2. पुस्तकों के चुनाव में वैरायटी | पुस्तकों का चुनाव ऐसा हो कि उसमें फिक्शन और नॉन-फिक्शन दोनों का ही अच्छा मिश्रण हो |

भाषा पढ़ने और पढ़ाने दोनों के ही समय मेरा निजी अनुभव ये कहता है, कि नॉन-फिक्शन या कथेतर साहित्य आपको विचार, सूचनाएं, सोचने का तरीका, ये सब देता है, वहीं कथा साहित्य और कविता आदि, आपको रचनात्मकता, शैली, सब्द विन्यास आदि देते हैं | कथा साहित्य आपको भाषा के इस्तेमाल की बारीकियाँ भी समझाता है | इसी तरह अच्छे लिखे नाटक आपको किरदार की बोली, जीवन शैली, उस भाषा को बोलने वालों की संस्कृति के बारे में भी बहुत कुछ बता सकते हैं |

इसी तरह अगर आपकी चुनी हुई पुस्तकों में विषयों का भी अच्छा मिश्रण हो तो आपका पढ़ने का अनुभव और भी बेहतर हो जाता है | आपकी पसंद एक बात है, लेकिन जो विषय सीधे आपकी जीविका, आपकी पढाई लिखाई, या आपकी पसंद से नहीं जुड़े, उन्हें पढ़ना आपके विचार ही नहीं, आपकी भाषा (विशेष तौर पर vocabulary को समृद्ध कर देता है) |

अगली बार निरंतरता और पढ़ने की आदत डाली कैसे जाये इस पर चर्चा करूंगी | कोशिश करूँगी कि मेरी एक रेकमेंडेड लिस्ट (बेसिक से एडवांस्ड स्तर की), भी शेयर करूँ | तब तक चाहें तो कमैंट्स में आपकी पढ़ी 5 पसंदीदा किताबों (कथा साहित्य या कथेतर कोई भी ) या पसंदीदा लेखक / लेखिकाओं के नाम अवश्य साझा करें | सब के लिए एक अच्छी खासी लिस्ट तैयार हो सकती है 🙂
©Anupama Garg 2022

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