‘रावण का दहन और मेरे अंदर चल रहे विचाकों का द-हन’

‘रावण का दहन और मेरे अंदर चल रहे विचाकों का द-हन’

बहुत दिन से दशहरा महोत्सव के बारे में लिखने का कोशिश कर रही थी| एक साल से, शायद आज भी नहीं बैठेती मगर फिर सोचा कही ये साल भी ऐसे ही चला जायेगा आपने दिल की बाते कहनी और लिखनी भी आनी चाहिए |

रावण शब्द जाना पहचाना सा लगता है है ना ? बच्चा बच्चा जनता है इस एक शब्द को , आप भी जानते होंगे |

कितने घरों में रावण होंगे, या कही मंथरा और कैकई भी होंगी ?

लेकिन उनका आस्तित्व अलग नजरियेसे समाज में अवतरित है |

रावण की एक गलती की सज़ा वो इस युग में हमारे जरिये भुगत रहा है |

रावण के भलेही एक अवगुण की वजहसे वो आज हमारे संसार का दोषी है लेकिन उसमें गुणों की कमी नहीं थी |

योद्धा: रावण एक निडर योद्धा था जिसने भगवान राम से युद्ध किया था।

विद्वान: रावण एक महान विद्वान था जो वेदों और शास्त्रों में पारंगत था। उसने भगवान राम के भाई लक्ष्मण को राजकौशल और कूटनीति सिखाई थी।

संगीतकार: रावण एक कुशल संगीतकार था जो वीणा बजाता था।

लेखक: रावण ने हिंदू ज्योतिष पर एक पुस्तक रावण संहिता और सिद्ध चिकित्सा पर एक पुस्तक अर्का प्रकाशन लिखी थी।

वास्तुकार: रावण एक शानदार वास्तुकार था जिसने अशोक उद्यान और लंका में एक महल का डिज़ाइन तैयार किया था।

शिव का भक्त: रावण शिव का भक्त था और उसने अपने दस सिर भगवान को अर्पित कर दिए थे।

अमरता का अमृत: रावण के पास अमरता का अमृत था।

ग्रहों पर नियंत्रण: रावण के पास नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति थी।

हालाँकि, रावण के अच्छे गुणों पर उसके बुरे गुण हावी हो गए थे, जैसे सत्ता का लालच और सीता की लालसा।

भले ही वो आज भी समाज में विचलित है | हम वो नहीं देखना चाहते जो हमे देखना चाहिए |


यही गलती हम नहीं करते है क्या? आज भी हम लोग इसकी सजा किसको देते है ? अपनी बहु- बेटियोँ को ना ? ऐसे क्यू ? लालच और लालसा सब में होती है |

किसी को पाने की या किसी के ऊपर आपने अधिकार ज़माने की ? लेकिन हम इसको प्यार और आदर की परिभाषा बताते है | अजीब बात है ना ?


एक उदाहरण पतिका लेलो वो रावण से काम नहीं है | आपने अधिकार ज़माने की भूख उस में कुटकुट कर भरी होती है, फिर बेटा और फिर……. बहुत सारे गिनती लंभी हो जायेगी |

हर बार आपने बहु-बेटी को कैसे शालीनता से रहना चाहिए बताते रहते है| क्या रावण तभी था आज रावण आपको कही नजर नहीं आता है |

मुझे पूछियेगा तो हर एक गली, नुक्कड़ या स्कूल में वह दिख जायेगा अगर आप की ऑंखें खुली है |

आज की न्यूज़ है ३ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म वह भी शिक्षक जो बच्चोंको आदर्श और समाज की गरिमा सिखाता है | यह न्यूज़ भोपाल के किसी निजी स्कूल की है |

और न जाने और ऐसे इतने न्यूज़ या रावण आपको आगल और बगल मिलेंगे | ऐसे ही ये बात मैंने आपने काम के दौरान महसूस की की स्कूल का शिक्षा हमेशा क्या लड़किओंकि क्लास में एक्स्ट्रा लेक्टर्स लेना पसंद करता था |

पाहिले ऐसे लगा की उसकी गरिमा और टैलेंट की प्रतिभा बच्चों को पढ़ने में है| लेकिन जब अनुमान लगाया तो देखा की उस क्लास में केवल लड़कियां ही है |

माँ – बाप भी ऐसे शिक्षा को इज़्ज़त देते है | अगर लड़की आवाज़ उठती है, तो कभी बाप मंथरा बनके उसकी माँ ( कैकई) के कान भरता है की तेरी बेटी में ही खोट है |

जब उस रावण को पत्ता है की जब लड़कियां आपने ही घर में सेफ नहीं है तो उसका तो और पलड़ा भारी हो जाता है | क्या ऐसे समाज में आज भी पुराने रावण का दहन करना जरुरी है तो क्यूँ होता है?

जहाँ वह दूसरा रावण आपने अंदर के रावण को दहन करने का सोच भी नहीं पाते है |

क्या हमें आपने विचार और अचार बदलने की जरुरत नहीं है ? आपने घर में अपनी बेटी और बहु को इज़्ज़त की नजर से अगर हम देखेंगे तो ही पड़ोसी भी वही इज़्ज़त देंगे |

बुराई का ‘अंत’ का समय है और ‘नई विचार धार’ का संचानल का समय है | दुर्गा का आगमन और दशहरा का अंत लोग धूमधाम से मानते है तो उससे कुछ अच्छी बाते सीखना भी जरूरी है|

आने वाली जनरेशन को को सदियोंसे एक ही रावण की की हुई गलतियाँ बताने से अच्छा है की, आज के नव युग मै यह गलती करने वाला कोई और रावण न पैदा हो |

रावण मरते समय अपनी सारी गलतियाँ सुधार के अच्छे कार्य करते मर गया | स्वयं राम जी ने उसको मोक्ष प्रदान किया | वैसे रामायण सब ने देखि है | अब इसके आगे कुछ नहीं कहना है |

क्षमस्व : यह विचार है | बहुत साल से चले आये उन रूढ़ि, आचार और विचारोंकी मध्य नए आयामको समझने के – की आखिर क्यूँ रावण दहन होता है ? हमारे अंदर के रावण का क्या ? उसका दहन कैसे होगा समाज से ? मन के अंदर के भाव से ?

Shilpa. G. B

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