ज्ञानी कौन है ?

*ज्ञानी कौन?*विदुर नीति श्लोकों में बहुत अच्छी व्याख्या की गई है:-*आत्मज्ञानं समारम्भः तितिक्षा धर्मनित्यता।यमर्थान्नापकर्षन्ति स वै पण्डित उच्यते॥यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं वा मन्त्रितं परे।कृतमेवास्य जानन्ति स वै पण्डित उच्यते॥यथाशक्ति चिकीर्षन्ति यथाशक्ति च कुर्वते। न किञ्चिदवमन्यन्ते नराः पण्डितबुद्धयः॥नाप्राप्यमभिवाञ्छन्ति नष्टं नेच्छन्ति शोचितुम् । आपत्सु च न मुह्यन्ति नराः पण्डितबुद्धयः ॥*अर्थात् जो अपनी योग्यता से भली-भाँति परिचित हो और उसी के अनुसार कल्याणकारी कार्य करता हो, जिसमें दुःख सहने की शक्ति हो,जो विपरीत स्थिति में भी धर्म-पथ से विमुख नहीं होता, ऐसा व्यक्ति ही ज्ञानी कहलाता है।दूसरे लोग जिसके कार्य, व्यवहार, गोपनीयता, सलाह और विचार को कार्य पूरा हो जाने के बाद ही जान पाते हैं, वही व्यक्ति ही ज्ञानी कहलाता है।विवेकशील और बुद्धिमान व्यक्ति सदैव ये चेष्ठा करते हैं की वे यथाशक्ति कार्य करें और वे वैसा करते भी हैं तथा किसी वस्तु को तुच्छ समझकर उसकी उपेक्षा नहीं करते, वे ही सच्चे ज्ञानी हैं जो व्यक्ति दुर्लभ वस्तु को पाने की इच्छा नहीं रखते, नाशवान वस्तु के विषय में शोक नहीं करते तथा विपत्ति आ पड़ने पर घबराते नहीं हैं, डटकर उसका सामना करते हैं, वही सही अर्थों में ज्ञानी हैं।

Subscribe
Notify of
guest

Time limit is exhausted. Please reload CAPTCHA.

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x