बच्चों को सेक्स के बारे में कब बताना शुरू करें – 1

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बच्चों को सेक्स के बारे में कब बताना शुरू करें ? – भाग 1

ये प्रश्न एक माँ ने पूछा है, लेकिन इसका उत्तर अधिकतर पेरेंट्स पर अप्लाई करेगा | आपको अपने घर, अपनी परिस्थितियों, अपने पेरेंटिंग पैटर्न्स, और अपने बच्चे की नीड्स के हिसाब से कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं | इस प्रश्न का उत्तर लम्बा भी है, इसलिए इसे दो या तीन भागों में लिखूंगी | पहला भाग ये रहा, बाकी भाग अगली पोस्ट्स में |

पहली चीज़ – मेरा अनुभव सिर्फ मित्रों के बच्चों से ‘sex ed talk ‘ या ‘वो वाली बात’ करने तक सीमित है | मैं माँ नहीं हूँ, इसलिए मेरा उत्तर अध्ययन, और दूसरे एक्सपर्ट्स के अनुभवों पर ज़्यादा आधारित है | अगर आपको ये उत्तर सिर्फ एक माँ बन चुकी महिला से ही चाहिए, तो आप यहीं पढ़ना बंद कर सकते हैं |

दूसरी बात – अपने बच्चे को कब बताएं से ज़्यादा ज़रूरी सवाल है, अपने बच्चे को क्या और कैसे बताएं | आजकल बच्चों के पास जिस तरह सूचना की अधिकता, इंटरनेट की सुविधा, TV और अन्य मीडिया से मिल रहे अधकचरे ज्ञान की भरमार है, उनके सवाल, उनकी उत्सुकता, बहुत ही सामान्य है | ऐसे में बजाय उन्हें एक समय तक अनभिज्ञ रखने के, हमें इस बारे में सोचना चाहिए कि हम उन्हें उनकी आयु के हिसाब से क्या, कितना, और कैसे बताएं |

आप का सबसे पहला काम होना चाहिए कि आप खुद सेक्स के बारे में जानें, सीखें, और उसके बारे में स्वस्थ संवाद करने की आदत डालें | जब तक आप सेक्स सम्बन्धी संवाद को ले कर awkward रहेंगे, तब तक आप बच्चे के साथ भी यह संवाद आराम से नहीं कर पाएंगे |

बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं, और वो असहजता, झूठ, टालमटोल को तुरंत भाँप लेते हैं | इसलिए उन्हें ये भरोसा होना ज़रूरी है कि उनके सवाल टाले नहीं जा रहे, और उनसे झूठ नहीं बोला जा रहा | आप माता-पिता के तौर पर अपने बच्चे को ये भरोसा तब तक नहीं दिला पाएंगे जब तक आप खुद इन कॉन्सेप्ट्स को ठीक से नहीं समझेंगे, व सेक्स और यौन स्वस्थ्य को ले कर एक सहज, स्वस्थ दृष्टिकोण विकसित नहीं करेंगे |

सहजता की शुरुआत आप यौनांगों को उनके नामों से बुलाने से कर सकती हैं ! आप आँख को ‘मिचमिच’ नहीं कहतीं तो फिर योनि या vagina को ‘नीचे’, ‘उधर’, ‘सुसु की जगह’ क्यों कहती हैं, जबकि आप शायद जानती हैं, कि महिलाओं के शरीर में योनि, और मूत्रमार्ग अलग अलग हैं ? फिर आप लिंग या Penis को ‘नन्नू’ ‘पीपी’ क्यों बुलाएँगे, जब आप कान को ‘खुसखुस’ और गले को ‘फुसफुस’ नहीं कहते?

मैं ये बिलकुल समझती हूँ कि शायद आप अपने बच्चे को ‘योनि’ और ‘लिंग’ जैसे शब्द न सिखाना चाहें, विशेषतौर पर इसलिए कि हिंदी में बोले जाते समय इन शब्दों के प्रति हमारी अपनी conditioning हमें असहज बनाती है, लेकिन ऐसे में आप इन अंगों के अंग्रेज़ी नामों का उपयोग कर सकते हैं | हमारी प्राथमिकता हमारे बच्चों की सहजता, उनकी समझदारी होनी चाहिए, भाषाई शुद्धता नहीं |

तो ये है पहला स्टेप | अंगों को उनके नाम से बुलाएं, ताकि सहजता की नींव शुरू से ही पड़े | अब अगला स्टेप – इस संवाद की शुरुआत कैसे करें ? एक तरीका है कि आप अपने बच्चे के सवालों का इंतज़ार करें | आम तौर पर यदि आपका बच्चा 3 साल से बड़ा है, तो वो आपको या किसी अन्य महिला को प्रेगनेंसी में देखेगा | या तो उसे पता होगा कि उसका कोई भाई-बहन आने वाला है, या ये कि फलां आंटी के घर बेबी आने वाली है | उस उम्र में एक बहुत ही सामान्य सवाल होता है – बेबी कहाँ से आते हैं ?

ऐसे सवालों के जवाब कई बार माँ बाप अक्सर बहुत ही अजीब तरीके से देते हैं – भगवान जी के घर से, मंदिर से, हॉस्पिटल से, और पता नहीं कहाँ कहाँ से |

आपके बच्चे की उम्र अगर 3 साल है तो आप कह सकते हैं, कि बेबी माँ के शरीर में बनते हैं, और अगर आपके बच्चे की उम्र 13 साल है तो आप कह सकते हैं कि माँ के शरीर में एक sac या थैली होती है जिसे uterus (गर्भाशय) कहा जाता है, और बेबी उसमें बनते हैं | इसके बाद संभव है कि आपका बच्चा आगे सवाल न पूछे और ये भी संभव है कि पूछ बैठे कि ये बेबी बनते कैसे हैं ?

आप कह सकती हैं, कि जब लोग बड़े हो जाते हैं, मम्मी पापा बनने के लायक शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, और आर्थिक स्थिति में आते हैं, तो मम्मी-पापा, महिला पुरुष, आपस में, या डॉक्टर की सहायता से उस बेबी के बनने का प्रोसेस शुरू करते हैं | इस स्टेज पर डॉक्टर की बात करने या न करने का निर्णय आप बच्चे की आयु, या उसके प्रश्न की भाषा, या IVF / surrogacy का उसके प्रश्न से कितना सम्बन्ध है, इस आधार पर ले सकते हैं |

कभी कभी 10 – 12 साल के बच्चे भी कोई लेख, कोई पत्रिका, कोई वेबसाइट पढ़ कर पूछ सकते हैं, मम्मी surrogacy क्या है, या पापा िवफ क्लिनिक क्या होती है | कभी कभी छोटे लड़के सेनेटरी नैपकिन देख कर पूछ सकते हैं ये क्या है, क्यों काम आता है ? जो लड़के coeducation में हैं, उन्हें तो बहुत बार स्कूल में sex ed क्लास में, या batchmates से पता चल जायेगा, लेकिन जो लड़के सिर्फ लड़कों के स्कूल्ज में पढ़ते हैं, उन्हें ये पता चले कोई ज़रूरी नहीं |

ऐसे में उनको डपटना, उनके सवाल टालना, उन्हें ये कहना कि ये सब फालतू की बातें हैं, या ये उनके लिए नहीं हैं लड़कियों की बातें हैं, वगैरह उन्हें छुप कर जवाब ढूंढने को प्रेरित करेगा | और ऐसे में वो क्या खोजेंगे, क्या जवाब पाएंगे, और उसका क्या असर होगा, इस पर आपका कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं होगा |

आपका संवाद आपके बच्चे के साथ कैसा होगा ये आपके बच्चे की आयु पर, उसके सवालों पर, और आपकी सहजता पर निर्भर करेगा | ये डाउनलोड नहीं है, जहाँ आपने टीचर की तरह क्लास दे दी, और बच्चे ने सुन लिया | ये संवाद प्लान करने के बजाय इनका अपने आप से फ्री फ्लोइंग होना ज़्यादा बेहतर है, क्योंकि प्लान्स अधिकतर फेल ही होते हैं, विशेष तौर पर बच्चों के साथ |

इसलिए इस संवाद को हमेशा दोतरफ़ा रखें | अपने बच्चे से पूछें उसे क्या समझ आया | उसकी समझ को जहाँ ठीक समझें वहां सुधारें भी | उससे पूछें अगर उसके और कोई प्रश्न हैं ? उसे ये भरोसा दिलाएं कि यदि उसके दिमाग में कोई भी प्रश्न हो तो वो आपसे बताये, पूछे, और ये कि आप उसे हमेशा जवाब देंगे, चाहे उसी समय, चाहे किसी एक्सपर्ट से सीख कर | ऐसे में बच्चा न सिर्फ आपके साथ सहज हो पायेगा, बल्कि ये भी समझ पायेगा कि जब आप ये स्वीकार कर सकते हैं कि आपको सब नहीं आता, तो उसके सवालों का भी मज़ाक नहीं बनेगा, और उसे कुछ भी पूछने की psychological आज़ादी मिलेगी |

अब आज का अंतिम बिंदु | क्या हो अगर आपका बच्चा कोई सवाल न पूछे? ऐसे में आप खुद भी ये संवाद शुरू कर सकते हैं | “बेटा, आपको पता है फलां आंटी के घर में बेबी आने वाली है?’ ‘आपको पता है, बेबी कैसे बनते हैं?’ ये एक बहुत नार्मल संवाद होगा, ठीक वैसे ही, जैसे आप घर में फ्रिज, नई कार, या नया टीवी डिसकस, या नया शहर, पापा के नए बॉस, मम्मी की नई फ्रेंड, या किसी की बीमारी को डिसकस करते हैं | जैसे जीवन में आना वाला और कोई भी परिवर्तन, और उसके बारे में होने वाला संवाद नार्मल है, वैसे ही ये भी | बस एक बार स्वस्थ तरीके से बात शुरू हो जाये |

डिस्क्लेमर – मेरी वॉल पर सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए की जाती है कि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके | यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास हरगिज़ नहीं किया जाता | ऐसे ही, कृपया ये प्रयास मेरे साथ न करें | प्रश्न पूछना चाहें, तो वॉल पर पूछें, या फिर पहले कमेंट में गूगल फॉर्म है, वहां पूछ सकते हैं | इन पोस्ट्स को इनबॉक्स में आने का न्योता न समझें |

©Anupama Garg 2022

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