प्यार का जन्म (कहानी)

आज हमने जो लिखा है ; वह कहानी होकर भी कहानी नहीं है ; दिल का दर्द है ; एक संस्मरण है, जिसे हमने पत्र की रूपरेखा दी है। यह कहानी या संस्मरण समर्पित है, उन प्रेमियों को, जो प्यार तो कर लेते हैं, पर उन्हें प्यार समझ ही नहीं आता। उस प्यार को वे जता ही नहीं पाते और अपने प्रेमी को जीवन भर का दर्द देकर चले जाते हैं। इसे हमने जिया है।

प्रिय सर,

हलो! 

आशा है, आप ठीक होंगे। आपके पास मेरी एक अमानत है। आज से तीन दिन पहले मैं औरंगाबाद आई थी। वहाँ मेरा एक साथी रहता है – श्रेय। मैं उसी से मिलने आई थी। मुझे मेरा साथी भी मिला और मेरा प्यार भी। मैं सिर्फ दो दिन के लिए आई थी। डेढ़ दिन मेरा श्रेय मेरे साथ रहा। 19 घंटे मैंने उसके साथ बिताए। 10 घंटे मैंने उसको याद करके बिताए। वे 29 घंटे मैंने उसके साथ जिये हैं। एक-एक पल को प्यार के एक-एक जन्म की तरह जिया है।

मैं जानती थी कि मुझे वापस जाना है; लौटना है फिर अपने असली जीवन में; फिर भी उस 29 घंटे के जीवन में मेरा प्यार; मेरा श्रेय मेरे साथ जिया। वो एक-एक पल मेरी ज़िन्दगी बन गया है। मेरा श्रेय मेरी ज़िन्दगी बन गया है। उसका हाथ अब भी मेरे हाथ में है। उसकी साँसों को अब भी मैं महसूस कर रही हूँ। जब आखिरी बार श्रेय मुझसे मिलकर गया; पूरा औरंगाबाद मेरे लिए अजनबी हो गया। मैं आपके औरंगाबाद में अकेली पड़ गयी। होटल लेमन ट्री में मेरे कदम रुक नहीं सके। 12:45 पर मैंने होटल छोड़ दिया और अगले पाँच घंटे एयरपोर्ट पर बिताए, जहाँ मेरा कोई नहीं था। जहाँ मेरे श्रेय ने मुझे फ़ोन तक नहीं किया। मैं उसे बंधनों से मुक्त करने का वचन दे चुकी थी, इसलिए मैं भी उसे फोन नहीं कर सकी। पाँच बजकर बीस मिनट की फ़्लाइट से मैं वापस चली आई।

 आज मैं अपने घर में हूँ……। वापस आ चुकी हूँ…….। हाँ! सच! मैं वापस आ गई हूँ!….

सच क्या है सर ?…..?

सच ये है, कि वापस ये शरीर आया है; चलता-फिरता शरीर….।

मेरा प्यार वहीं है….. मेरे श्रेय के पास।

मेरी आत्मा भी वहीं है…. मेरे श्रेय के पास।

मैं भी वहीं हूँ, अपने श्रेय के पास…..।

 आपको मेरा श्रेय मिले, तो उसे ये सब ज़रूर बताइएगा। उसे कहिएगा कि मेरी अमानत, मेरा प्यार, मेरी आत्मा, मेरी जान को अपने दिल में सहेज कर रखे।

मेरा श्रेय आपके पास है। उसे ढूँढ़िये और उससे मेरा हाल कहिये।

कहिये, कि मैं यहाँ तड़प रही हूँ। मेरी इस चिट्ठी का ऐसा जवाब लिख भेजे, जिससे मुझे उसका प्यार महसूस हो।

मैं जानती हूँ, कि श्रेय भी मुझे प्यार करता है…..।

कह नहीं पाता……। 

जवाब के इंतज़ार में…. 

अपने श्रेय की…. 

संतुति 

और आपकी…. 

मैडम।

….. श्री …..

इस रेखाकृति को हमने पिक्सा बे साइट से साभार उद्धृत किया है।

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