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विस्मयादिबोधक अव्यय ( व्याकरण से आंशिक )

विस्मयादिबोधक अव्यय ( व्याकरण से आंशिक )

प्रिय विद्यार्थियो !

आज की इस कड़ी में हम विस्मयादिबोधक अव्ययों के विषय में कुछ विशेष जानेंगे। ‘विस्मयादिबोधक’ अव्यय पद हैं। इन पर लिंग, वचन, कारक, काल, देश आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वाक्य में इनमें से किसी में भी परिवर्तन होने पर विस्मयादिबोधक अपरिवर्तित रहते हैं।

परिचय — विस्मयादिबोधक शब्द दो शब्दों के मेल से बना है– विस्मय + आदि। ‘विस्मय’ एक मनोभाव है, जिसका अर्थ होता है– आश्चर्य। इसे ही बोलचाल की‌‌ भाषा में ‘हैरानी’ कहते हैं, तथा इसका ‘आश्चर्य’ तत्सम् से तद्भव रूप बनता है– अचरज। इस प्रकार एक ही मनोभाव के अनेक नाम हो जाते हैं। दूसरे भाग ‘आदि’ का तात्पर्य है– अन्य भी बहुत-से। इस प्रकार ‘विस्मयादिबोधक’ का अर्थ हुआ– विस्मय तथा अन्य मनोभाव।

परिभाषा– वे अव्यय पद, जो विस्मय, हर्ष, शोक, घृणा, भय, जुगुप्सा, क्रोध, शांति आदि विभिन्न मनोभावों को प्रकट करते हैं, उन्हें ‘विस्मयादिबोधक’ अव्यय कहते हैं।

उदाहरण– अरे! हें! अहा! ओह! हे भगवान! बाप रे! क्या! हँ! ओम्!

विशेष बिंदु :

१. प्रत्येक विस्मयादिबोधक एक शब्द होता है। यह एक अकेला शब्द पूरे एक मनोभाव को प्रकट करने में सक्षम होता है।

२. विस्मयादिबोधक‌ मुख से अचानक प्रकट होते हैं। परिस्थिति के अनुसार कोई भी विस्मयादिबोधक मुख से निकल जाता है।

३. विस्मयादिबोधकों के साथ विस्मयादिबोधक चिह्न अनिवार्य रूप से लगाया जाता है।

४. ‘!’– यह चिह्न विस्मयादिबोधक चिह्न कहलाता है।

विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद :

१. विस्मय बोधक ( आश्चर्य भाव ) — अरे! हें! क्या! हे भगवान! २. हर्ष बोधक ( प्रसन्नता भाव ) — अहा! वाह! क्या बात है! उत्तम! सुंदर! ३. शोक बोधक ( दु:ख भाव ) — ओह! हे राम! हे भगवान! ओहो! ४. खेद बोधक ( खेद भाव ) — ओहो! अरेरेरे! ५. क्रोध बोधक ( आवेश, रौद्र अथवा क्रोध भाव ) — क्या! इतनी हिम्मत! खबरदार! चुप! मुँह संभाल के! ५. घृणा बोधक ( घृणा अथवा कुंठा भाव ) — छि:! छी-छी! थू! थू-थू! धत! हट! हुँह! ६. भय बोधक ( भय अथवा जुगुप्सा भाव ) — बाप रे! बाप रे बाप! त्राहि! त्राहि माम्! भागो! ७. आशीर्वाद बोधक ( मंगल अथवा कल्याण भाव ) — शुभम्! कल्याणम्! मंगलम्! आरोग्यम्! खुश रहो! प्रसन्न रहो! सुखी रहो! जीते रहो! चिरंजीवी रहो! ८. चेतावनी बोधक ( सुरक्षा भाव ) — होशियार! खबरदार! सावधान! बच के! जागते रहो! रुको! ९. प्रशंसा बोधक ( उत्साह भाव ) — शाबाश! बहुत अच्छे! बहुत सुंदर! अति सुंदर! अति उत्तम! वाह! क्या बात है! क्या खूब! बहुत खूब! १०. प्रार्थना बोधक ( शांति भाव ) — ओ३म्! हरिओ३म्! शिव-शिव! अलख निरंजन! शांति!-शांति!

यह ध्यातव्य है, कि एक विस्मयादिबोधक अनेक भावों में प्रकट हो सकता है। विस्मयादिबोधक का प्रकट होना तात्कालिक परिस्थितियों तथा वक्ता की शारीरिक एवं मानसिक दशा पर भी निर्भर करता है।

विस्मयादिबोधकों में यहीं तक। अधिक जानकारी हेतु विद्यार्थी कृपया उत्तम गुणवत्ता की‌ व्याकरण पुस्तकों से पाठ देखें।

….. श्री …..

इस अंक में ली गई छवि को हमने पिक्साबे साइट से साभार उद्धरित किया है।

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