‘अव्यय’ का शाब्दिक अर्थ है– जो खर्च न हो। व्याकरण में खर्च होने से तात्पर्य होगा– बदल जाना; परिवर्तित हो जाना। इस प्रकार व्याकरण में ‘अव्यय’ से तात्पर्य है– रूप न बदलना। अव्यय वे शब्द (पद) हैं, जो सदा अपरिवर्तनीय हैं; जिनके रूप में कोई परिवर्तन नहीं होता।
संबंधबोधक पद भी अव्यय पद हैं। ‘संबंधबोधक’ का अर्थ है– संबंध का ज्ञान कराने वाला। व्याकरणिक पदों में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि मुख्य पद वाक्य का अंग अवश्य होते हैं। संबंधबोधक अव्यय वाक्य में आए दो संज्ञा पदों का, अथवा दो सर्वनाम पदों का अथवा एक संज्ञा तथा एक सर्वनाम पद का परस्पर संबंध स्थापित करते हैं तथा फिर उनका क्रिया से संबंध स्थापित करते हैं।
उदाहरण-– १. मेरा घर तुम्हारे घर के बगल में है। (के बगल में) २.खेत के बीचों-बीच एक आम का पेड़ है। (के बीचों-बीच)
संबंधबोधक के परसर्ग — संबंधबोधक अव्ययों के पूर्व कुछ परसर्ग लगते हैं। जैसे– के, से, की, आदि। जैसे– के अंदर, के आगे, से पहले, से दूर, की अपेक्षा, की तुलना में आदि।
यह स्मरण रहना चाहिए कि प्रत्येक संबंधबोधक अव्यय से पूर्व उपयुक्त परसर्ग अवश्य लगाया जाए, अन्यथा संबंधबोधक में क्रिया विशेषण का भ्रम हो सकता है। दोनों के बीच दुविधा भी हो सकती है। जैसे — १. मंदिर के अंदर भगवान की मूर्ति है। (के अंदर– संबंधबोधक) । १. अंदर मंदिर में भगवान की मूर्ति है। (अंदर– क्रिया विशेषण) । २. बस्ती के बाहर मैदान में आओ। (के बाहर– संबंधबोधक) २. बाहर मैदान में आओ। (बाहर– क्रिया विशेषण) ।
१. संबंधबोधक अव्ययों के प्रकार ( अर्थ के आधार पर )–
१. दिशावाचक– की ओर, की तरफ़, से पहले, से दूर, के पास, इधर, उधर
२. साधनवाचक– के द्वारा, की सहायता से, की मदद से, के कारण, के सहारे, के ज़रिए, के चारों ओर
३. तुलनावाचक– की अपेक्षा, की तुलना में, की बजाय, के सिवाय
४. कालवाचक– के पश्चात् , के बाद, के पहले, के पूर्व, के उपरांत
५. स्थान वाचक– के बाहर, के भीतर, के अंदर, के ऊपर, के सामने, के बीच, के पास
६. विरोधवाचक– के विपरीत, के ख़िलाफ़, के प्रतिकूल
७. समानतावाचक– की तरह, के समान, के सदृश, के तुल्य, के बराबर
८. हेतुवाचक– के लिए, के कारण, के मारे, के निमित्त
९. संबंधवाचक– के साथ, के समेत, के संग
१०. विषयवाचक– के विषय में, के बारे में, की बाबत
११. संग्रहवाचक– भर, पर्यंत, तक, सहित,
१२. व्यतिरेकवाचक– के सिवाय, के बिना, से रहित, की बजाय, के अलावा
१३. विनिमयवाचक– के बदले, की जगह
२.संबंधबोधक अव्ययों के प्रकार ( प्रयोग के आधार पर )—
I. विभक्ति अर्थात् परसर्ग सहित प्रयोग — १. जल के बिना जीवन असंभव है। २. नदी के दोनों ओर लहलहाते खेत हैं। ३. हमारे गाँव के बीचों-बीच छोटी झील है। ४. हवा के विपरीत चिड़ि गिर जाती है।
II. विभक्ति अर्थात् परसर्ग रहित प्रयोग– १. पीठ पीछे किसी का भरोसा नहीं। २. श्री राम पत्नी व भ्राता सहित वनवास को गए। ३. सभी कुटुम्बियों समेत आप भी पधारें। ४. मुँह आगे बड़ाई क्या बड़ी बात है ? पीछे हो, तो जानें।
संबंधबोधक अव्यय में यहीं तक। अधिक जानकारी हेतु विद्यार्थी कृपया उत्तम गुणवत्ता की व्याकरण पुस्तकों से पाठ देखें।
….. श्री …..
इस अंक के साथ लिया गया छाया चित्र पिक्साबे साइट से साभार उद्धरित है।