समास (व्याकरण से आंशिक)
आज की कड़ी में हम व्याकरण से एक नवीन विषय ‘समास’ पर चर्चा करेंगे।
समास — का शाब्दिक अर्थ है — छोटा करना या संक्षिप्त करना। एक बड़े शब्द-समूह को संक्षिप्त करने की प्रक्रिया को समास कहते हैं। सामासित करके अर्थात् , संक्षिप्त करके बनाए गए एक शब्द को समस्त पद कहते हैं। जैसे — घोड़ों से चलने वाली गाड़ी — घोड़ागाड़ी। एक पद बनाने की इस प्रक्रिया को ‘समास’ के नाम से भी जाना जाता है।
समास-विग्रह :- सामासित किए गए शब्द को खोलकर विस्तार से बताने की प्रक्रिया को समास – विग्रह कहते हैं। जैसे — विषयवस्तु – विषय की वस्तु।
समास के भेद — जैसा कि हमने जाना कि संक्षिप्त कर बनाए गए बड़े शब्द-समूह के संक्षिप्त रूप को समस्त पद कहा जाता है। प्रत्येक समस्त पद में दो पद होते हैं — १. पूर्व पद २. उत्तर पद ।
पूर्व पद को ‘प्रथम पद’, ‘पहला पद’ आदि भी कहा जाता है। उत्तर पद को ‘द्वितीय पद’, ‘दूसरा पद’ भी कहा जाता है।
किसी समस्त पद में ‘पूर्व पद’ प्रधान होता है, तो किसी समस्त पद में ‘उत्तर पद’ । किसी समस्त पद में दोनों पद प्रधान होते हैं, तो किसी समस्त पद में कोई पद प्रधान नहीं होता। इसी आधार पर समास के चार भेद तथा दो उपभेद किए गए हैं।
१. अव्ययीभाव समास — यह एक ऐसा समास है, जिसके समस्त पदों में , पूर्व पद एक अव्यय होता है तथा प्रधान भी पूर्व पद ही होता है। जब दोनों पदों को समस्त पद बना दिया जाता है, तब पूरा समस्त पद ही एक अव्यय बन जाता है। उदाहरण — यथाशक्ति — जितनी शक्ति हो। बेखटके — बिना खटके ( डरे )। हाथों हाथ– हाथ ही हाथ में। भरपेट — पेट भरकर। आदि-आदि ।
२. तत्पुरुष समास – इस समास में विभक्तियाँ अर्थात् कारकों के परसर्गों का खेल होता है। प्रत्येक समस्त पद में उत्तर पद प्रधान होता है। जब समस्त पद को खोला जाता है, तब विभक्तियाँ अर्थात् कारकों के चिह्न (परसर्ग) प्रकट होते हैं। जब समस्त पद बनाया जाता है, तब परसर्ग लुप्त (गायब) हो जाते हैं। एक और विशेष बात — परसर्गों के आधार पर इन्हें कारकीय नाम दिए जाते हैं। उदाहरण — विदेशगमन – विदेश को गमन। ( कर्म तत्पुरुष )। हस्तलिखित – हस्त से लिखित। ( करण तत्पुरुष )। डाकगाड़ी – डाक के लिए गाड़ी । ( संप्रदान तत्पुरुष ) । देशनिकाला – देश से निकाला । ( अपादान तत्पुरुष ) । भारतरत्न – भारत का रत्न (संबंध तत्पुरुष) । आपबीती – आप (अपने) पर बीती । ( अधिकरण तत्पुरुष ) ।
तत्पुरुष समास में अधिक शब्दों का लोप — दही में डूबा हुआ बड़ा ( दहीबड़ा ) । मालगाड़ी — माल को ढोने वाली गाड़ी।
नञ तत्पुरुष : जिस समस्त पद में पूर्व पद नकारात्मक भाव लिए हुए हो ; अभावात्मक हो, उसे नञ तत्पुरुष कहते हैं। उदाहरण - अकर्मण्य — न कर्मण्य। अनहोनी – न होनी।
३. कर्मधारय समास — कर्मधारय समास को तत्पुरुष समास का उपभेद स्वीकार किया गया है , क्योंकि इस समास में भी उत्तर पद प्रधान होता है। परंतु इस समास की व्यक्तिगत विशेषताएँ भी हैं। इस समास के प्रत्येक समस्त पद में उपमान-उपमेय संबंध अथवा विशेषण-विशेष्य संबंध रहता है।
उदाहरण — उपमान-उपमेय संबंध — विद्याधन — विद्या रूपी धन। चरणकमल — कमल रूपी चरण।
विशेषण-विशेष्य संबंध — वीरपुरुष — वीर है जो पुरुष । प्रधानाचार्य — प्रधान है जो आचार्य।
४. द्विगु समास — यह समास भी तत्पुरुष समास के एक उपभेद के रूप में गिना जाता है , क्योंकि इसमें भी उत्तर पद प्रधान माना गया है। इस समास की भी व्यक्तिगत विशेषताएँ हैं। इस समास में समस्त पद का पहला पद अर्थात् पूर्व पद संख्या वाची होता है। संख्यावाची होने से विग्रह में समाहार ( या समूह ) का बोध होता है ।
उदाहरण — पंचवटी — पाँच वटों का समाहार। ( अन्य – पाँच वटियों (जड़ी) का समाहार।) चौराहा — चार रास्तों का समाहार।
५. द्वन्द्व समास — ‘द्वन्द्व’ का शाब्दिक अर्थ है — प्रतियोगिता। इस समास में समस्त पद के दोनों पदों के बीच महत्त्व की प्रतियोगिता चलती रहती है, जिससे दोनों ही पद महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। विग्रह करने पर ’और’ , ‘तथा’, ‘एवं’ , ‘अथवा’ , ‘या’ आदि योजक शब्द प्रकट होते हैं। समस्त पद के बीच में योजक चिह्न लगता है।
उदाहरण — माता-पिता– माता तथा पिता। सुख-दु:ख– सुख अथवा दु:ख।
६. बहुव्रीहि समास — इस समास के समस्त पदों में कोई पद प्रधान नहीं होता। दोनों पद मिलकर एक नए अर्थ की सृष्टि करते हैं तथा पूरा समस्त पद उसी नए अर्थ में रूढ़ अर्थात् प्रसिद्ध हो जाता है। इस समास के विग्रह में शेष सभी समासों में से किसी के भी लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
उदाहरण — लंबोदर — लंबा है उदर जिनका ( गणेश ) । चक्रपाणि — चक्र है जिनके पाणी (हाथ) में ।
आज की इस कड़ी में हमने समास की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की है। विद्यार्थी सम्यक अध्ययन हेतु कृपया उत्तम गुणवत्ता की व्याकरण पुस्तकों से पाठ देखें।
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इस अंक में ली गई छवि को हमने पिक्साबे साइट से साभार उद्धरित किया है।