वन्य जीवों के व्यापार की जाँच हेतु पहल
वन्य जीवों के व्यापार की जाँच हेतु पहल
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन|
(खंड – 11 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)
संदर्भ
गौरतलब है कि वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो द्वारा 1 अगस्त, 2017 से देश भर में एक माह तक चलने वाले प्रछन्न कार्यक्रम (covert operation) की शुरुआत की जा रही है| इस कार्यक्रम का उद्देश्य जीवों की अल्प ज्ञात प्रजातियों (lesser-known species) के गैर-कानूनी व्यापार संबंधी जाँच करना है|
प्रमुख बिंदु
ध्यातव्य है कि इस कार्यक्रम का नाम ‘ऑपरेशन लेसनो’ (operation lesknow) रखा गया है| इस मिशन के अंतर्गत अनेक खोज और प्रवर्तन एजेंसियों (जिनमें केंद्रीय जाँच ब्यूरो भी सम्मिलित है) के माध्यम से गैर-कानूनी व्यापार में संलग्न शिकारियों पर लगाम लगाई जाएगी|
अंतर्राष्ट्रीय शिकारियों का पता लगाने के लिये वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो को अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, जैसे – इंटरपोल, फ़ेडरल ब्यूरो और इंवेस्टीगेशन का भी सहयोग प्राप्त होगा|इस कार्यक्रम में स्पिनर डॉल्फिन (spinner dolphin), हम्प बेक्ड (hump-backed) अथवा प्ल्मबिअस डॉल्फिन (plumbeous dolphin), तिब्बती ध्रुवीय बिल्ली (tibetan pole cat), हॉग डियर (hog deer) सहित 70 अन्य अल्प ज्ञात प्रजातियों के गैर-कानूनी व्यापार की जाँच की जाएगी| हालाँकि इस कार्यक्रम के तहत बड़ी बिल्लिओं, पक्षियों, हाथी, गैंडे और समुद्री प्रजातियों (जैसे कछुओं) को शामिल नहीं किया जाएगा|ब्यूरो के अनुसार, इस ‘ऑपरेशन लेसनो’ नामक कार्यक्रम का संचालन 1 अगस्त से 31 अगस्त के मध्य किया जाएगा|यह कार्यक्रम ‘न्याय विशिष्ट’ होगा| जिसमें राज्य और उनसे संबद्ध एजेंसियाँ एक-दूसरे के साथ सहयोग व समन्वय स्थापित करेंगी ताकि अंतर्राज्यीय नेटवर्कों का आकलन किया जा सकें|सरकार और अंतर्राष्ट्रीय निकायों (जैसे-इंटरपोल) के सभी स्तरों पर वन्य जीव अपराधों की समस्या का समाधान करने के लिये किये गए कड़े प्रयासों के बावजूद भी यह विश्व में सबसे अधिक आकर्षक गतिविधि बनी हुई है|संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (CITES) के अनुसार, इस गैर-कानूनी व्यापार से प्राप्त होने वाली वार्षिक राशि तकरीबन 20 बिलियन डॉलर की है, जिसके फलस्वरूप हथियारों, दवाओं और मानव तस्करी के पश्चात् इस व्यापार का गैर-कानूनी व्यापार में प्रमुख स्थान है|इस कार्यक्रम के तहत बाघ, हाथी, गैंडे, और तेंदुएँ जैसी प्रजातियों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा जबकि पेंगोलिन (pangolin), ऊदबिलाव (otter), गिरगिट, छिपकली, निग्री ताहर (nigri tahr), लाल पांडा, सलेंडर आयोरिस (slender ioris), नेवले (mongoose) और सिवेट्स (civets) जैसी प्रजातियों का इसमें कोई ज़िक्र नहीं किया गया है| ध्यातव्य है कि अल्प ज्ञात प्रजातियों के शिकार को रोकने के लिये वन्य जीव अपराध क्षेत्र में प्रवर्तन एजेंसियों को इस प्रच्छन कार्यक्रम के संचालन में योगदान करना होगा| जिसके लिये सभी राज्यों से एकत्रित सूचनाओं को प्रत्येक सोमवार को ब्यूरो के साथ साझा किया जाएगा|
स्रोत : डी.एन.ए.