Economic survey 2017
केंद्र सरकार ने संसद में आज आर्थिक सर्वेक्षण (इकोनॉमिक सर्वे) 2017 पेश किया। इस सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.1 फीसद लगाया गया है। वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 फीसद रहने की संभावना है। जो पिछले वित्त वर्ष से 1.2 फीसद ज्यादा है। औद्योगिक क्षेत्र के ग्रोथ अनुमान को वित्त वर्ष 2016-17 के लिए घटाया गया है। मौजूदा वित्त वर्ष में औद्योगिक क्षेत्र की ग्रोथ 5.2 फीसद रहने का अनुमान है, जो बीते वर्ष 7.4 फीसद रही थी।
वित्त वर्ष 2018 के लिए 3 बड़ी चिंताएं
आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2018 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.75 फीसद से 7.5 के बीच लगाया गया है। इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2018 के लिए ग्रोथ के लिहाज से तीन बड़ी चिंताए बताई गई हैं। पहली नोटबंदी, दूसरा महंगा कच्चा तेल और तीसरा वैश्विक कारोबारी चिंताएं। इस सर्वेक्षण में श्रम, कर नीतियों में सुधार की सिफारिशें की गई हैं जिससे अपैरल और चमड़ा क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
हैडलाइन इन्फ्लेशन (सकल मुद्रास्फीति) जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) से नापा जाता है लगातार तीसरे वित्त वर्ष के दौरान नियंत्रण में बनी हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण में आर्थिक गतिशीलता और सामाजिक न्याय दिलाने के लिए सुधारों की सिफारिश की गई है। वित्त वर्ष 2016-17 में चालू खाते का घाटा जीडीपी के अनुपात में (पहली छमाही के दौरान) 0.3 फीसद घटा है। कृषि क्षेत्र ने 4.1 फीसद की दर से इस वित्त वर्ष विकास किया है जबकि बीते वित्त वर्ष (2015-16) में यह दर 1.2 फीसद रही थी।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताई गईं 7 बड़ी उपलब्धियां:
आर्थिक सर्वेक्षण के माध्यम से मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह बताया कि इस वित्त वर्ष में 7 बड़ी उपलब्धियां रही हैं, जिनमें जीएसटी, बैंक्रप्सी बिल, मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी, आधार बिल, एफडीआई की नीतियां उदार की गईं, यूपीआई-इंटरफेज लाया गया और श्रम आधारित क्षेत्रों को बढ़ावा देना प्रमुखता से शामिल है।
अरविंद सुब्रमणियम ने कहा कि एक आर्थिक सर्वेक्षण उद्देश्यपूर्ण और वस्तुनिष्ठ होना चाहिए। उन्होंने नोटबंदी के असर पर बोलते हुए कहा नोटबंदी से कम अवधि में नुकसान होगा लेकिन लंबी अवधि में इसका फायदा देखने को मिलेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के कारण बैंक क्रेडिट रेट प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य अचल संपत्तियों की कीमतों में कमी लाना था।
किस क्षेत्र का रहा कैसा प्रदर्शन
कृषि
• कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर वर्ष 2016-17 में 4.1 फीसद रहने का अुनमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह दर 1.2 फीसद रही थी। कृषि क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन को आश्चर्यजनक नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि पिछले दो वर्षों के मुकाबले चालू वर्ष में मानसून काफी बढि़या रहा।
• वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को रबी फसलों का कुल बुवाई रकबा 616.2 लाख हेक्टे्यर आंका गया, जो पिछले वर्ष के समान सप्ताह में दर्ज किये गये रकबे के मुकाबले 5.9 फीसदअधिक है।
• वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को गेहूं का बुवाई रकबा पिछले वर्ष के समान सप्ताह में दर्ज किये गये रकबे की तुलना में 7.1 फीसद अधिक रहा। इसी तरह वर्ष 2016-17 के दौरान 13 जनवरी 2017 को चने का बुवाई रकबा पिछले वर्ष के समान सप्ताह में आंके गए रकबे के मुकाबले 10.6 फीसद ज्यादा रहा।
उद्योग
• वर्ष 2016-17 में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर के कम होकर 5.2 फीसद के स्तर पर आ जाने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2015-16 में यह वृद्धि दर 7.4 फीसद थी। अप्रैल-नवम्बर, 2016-17 के दौरान औद्योगिक उत्पारदन सूचकांक (आईआईपी) में 0.4 फीसदकी मामूली वृद्धि दर्ज की गई है।
• आठ प्रमुख ढांचागत सहायक उद्योगों अर्थात कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पातद, उर्वरक, इस्पाात, सीमेंट और बिजली उद्योगों ने अप्रैल-नवम्बर 2016-17 के दौरान 4.9 फीसदकी संचयी वृद्धि दर दर्ज की, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह दर 2.5 फीसदथी। अप्रैल-नवम्बर 2016-17 के दौरान रिफाइनरी उत्पा दों, उर्वरकों, इस्पात, बिजली और सीमेंट के उत्पादन में अच्छी-खासी वृद्धि दर्ज की गई, जबकि कच्चेम तेल और प्राकृतिक गैस का उत्पादन गिर गया। वहीं, कोयले की उत्पादन वृद्धि दर में समान अवधि के दौरान गिरावट का रुख देखा गया।
• कॉरपोरेट क्षेत्र के प्रदर्शन (भारतीय रिजर्व बैंक, जनवरी 2017) से यह तथ्य सामने आया है कि वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही के दौरान कुल बिक्री में 1.9 फीसद की वृद्धि हुई है, जबकि वर्ष 2016-17 की प्रथम तिमाही में यह वृद्धि दर महज 0.1 फीसदरही थी। वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही के दौरान इसके शुद्ध मुनाफे में 16.0 फीसदकी उल्ले्खनीय बढ़ोतरी हुई है, जबकि वर्ष 2016-17 की प्रथम तिमाही के दौरान इसमें 11.2 फीसद की वृद्धि आंकी गई थी।
सेवा क्षेत्र
• वर्ष 2016-17 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 8.9 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2015-16 में दर्ज की गई वृद्धि के लगभग बराबर है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप कर्मचारियों को मिली अच्छी–खासी धनराशि की बदौलत लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्यक सेवाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसी को देखते हुए सेवा क्षेत्र द्वारा तेज रफ्तार पकड़ने का अनुमान लगाया गया है।
सामाजिक बुनियादी ढांचा, रोजगार और मानव विकास
• संसद में ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ पारित हो गया है। इस अधिनियम का उद्देश्य दिव्यांगजनों के अधिकारों को सुरक्षित करने के साथ-साथ इनमें और ज्या्दा वृद्धि सुनिश्चित करना है। इस अधिनियम में सरकारी प्रतिष्ठानों की रिक्तियों में उन लोगों के लिए आरक्षण स्तर को तीन फीसद से बढ़ाकर चार फीसद करने का प्रस्ताव किया गया है, जिनमें विकलांगता अपेक्षाकृत ज्यादा है और जिन्हें अत्यधिक सहायता की जरूरत पड़ती है।
विदेशी कर्ज
• सितंबर 2016 के आखिर में भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ 484.3 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया, जो मार्च 2016 के आखिर में दर्ज किये गये विदेशी कर्ज बोझ के मुकाबले 0.8 अरब अमेरिकी डॉलर कम है।
• सितंबर 2016 में विदेशी कर्ज के ज्यादातर मुख्य संकेतकों ने मार्च 2016 के मुकाबले सुधार का रुख दर्शाया। कुल विदेशी कर्ज में अल्पकालिक ऋणों का हिस्सा सितंबर 2016 के आखिर में कम होकर 16.8 फीसद रह गया और विदेशी मुद्रा भंडार ने कुल विदेशी कर्ज बोझ के 76.8 फीसद को कवर किया।
• कर्ज बोझ से दबे अन्य विकासशील देशों के मुकाबले भारत के मुख्य ऋण संकेतक बेहतर रहे हैं और भारत की गिनती अब भी इस लिहाज से कम असुरक्षित देशों में होती है।
व्यापार
• निर्यात में दर्ज की जा रही ऋणात्मक वृद्धि का रुख कुछ हद तक वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) में सुधार के लक्षण दर्शाने लगा, क्योंकि निर्यात 0.7 फीसद की वृद्धि के साथ 198.8 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। वहीं, वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान आयात 7.4 फीसद घटकर 275.4 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तंर पर आ गया।
• वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान व्यापार घाटा कम होकर 76.5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 100.1 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया था।
• वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में चालू खाता घाटा (सीएडी) कम होकर जीडीपी के 0.3 फीसद पर आ गया, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 की प्रथम छमाही में यह 1.5 फीसद और 2015-16 के पूरे वित्त वर्ष में यह 1.1 फीसद रहा था।
• प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की तेज आवक और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की शुद्ध आवक सीएडी के वित्त पोषण के लिहाज से पर्याप्त रहीं, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का रुख रहा।
• वित्ती वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बीओपी के आधार पर 15.5 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई।
• वर्ष 2016-17 के दौरान रुपये का प्रदर्शन अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं के मुकाबले बेहतर रहा है।
महंगाई
• उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुख्य महंगाई दर लगातार तीसरे वित्त वर्ष के दौरान नियंत्रण में रही। सीपीआई आधारित औसत महंगाई दर वर्ष 2014-15 के 5.9 फीसद से घटकर वित्त वर्ष 2015-16 में 4.9 फीसदके स्तर पर आ गई और अप्रैल-दिसंबर 2015 के दौरान यह 4.8 फीसद दर्ज की गई थी।
• थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर वित्त वर्ष 2014-15 के 2.0 फीसद से घटकर वित्त वर्ष 2015-16 में (-) 2.5 फीसद रह गई और यह अप्रैल-दिसंबर 2016 में औसतन 2.9 फीसद आंकी गई।
• महंगाई दर पर बार-बार खाद्य वस्तुओं के संक्षिप्त समूह का ही असर देखा जा रहा है। इन वस्तुओं में से दालों का सर्वाधिक योगदान खाद्य महंगाई में निरंतर देखा जा रहा है।
• सीपीआई आधारित कोर महंगाई दर चालू वित्त। वर्ष के दौरान औसतन लगभग 5 फीसद के स्तर पर टिकी हुई है।
राजकोषीय
• अप्रत्यक्ष करों के संग्रह में अप्रैल–नवम्बर 2016 के दौरान 26.9 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
• अप्रैल-नवम्ब़र 2016 के दौरान राजस्व व्यय में हुई खासी वृद्धि मुख्यत: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल के फलस्वरूप वेतन में हुई 23.2 फीसदकी बढ़ोतरी और पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिए अनुदान में की गई 39.5 फीसद की वृद्धि की बदौलत संभव हो पाई।