भारतीय सविधान में किये गए संसोधनों के महत्वपूर्ण तिथि (Important Indian Constitutional amendments)

● पहला संशोधन (1951)—
इस संशोधन द्वारा नौवीं अनुसूची को शामिल किया गया।

● दूसरा संशोधन (1952) —
संसद में राज्यों के प्रतिनिधित्व को निर्धारित किया गया।

● सातवां संशोधन (1956) —
इस संशोधन द्वारा राज्यों का अ, ब, स और द वर्गों में विभाजन समाप्त कर उन्हें 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित क्षेत्रों में विभक्त कर दिया गया।

● दसवां संशोधन (1961) —
दादरा और नगर हवेली को भारतीय संघ में शामिल कर उन्हें संघीय क्षेत्र की स्थिति प्रदान की गई।

● 12वां संशोधन (1962) —
गोवा, दमन और दीव का भारतीय संघ में एकीकरण किया गया।

● 13वां संशोधन (1962) —
संविधान में एक नया अनुच्छेद 371 (अ) जोड़ा गया, जिसमें नागालैंड के प्रशासन के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए गए। 1दिसंबर, 1963 को नागालैंड को एक राज्य की स्थिति प्रदान कर दी गई।

● 14वां संशोधन (1963) —
पांडिचेरी को संघ राज्य क्षेत्र के रूप में प्रथम अनुसूची में जोड़ा गया तथा इन संघ राज्य क्षेत्रों (हिमाचल प्रदेश, गोवा, दमन और दीव, पांडिचेरी और मणिपुर) में विधानसभाओं की स्थापना की व्यवस्था की गई।

● 21वां संशोधन (1967) —
आठवीं अनुसूची में ‘सिंधी’ भाषा को जोड़ा गया।

● 22वां संशोधन (1968) —
संसद को मेघालय को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करने तथा उसके लिए विधानमंडल और मंत्रिपरिषद का उपबंध करने की शक्ति प्रदान की गई।

● 24वां संशोधन (1971) —
संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन का अधिकार दिया गया।

● 27वां संशोधन (1971) —
उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के पाँच राज्यों तत्कालीन असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर व त्रिपुरा तथा दो संघीय क्षेत्रों मिजोरम और अरुणालच प्रदेश का गठन किया गया तथा इनमें समन्वय और सहयोग के लिए एक ‘पूर्वोत्तर सीमांत परिषद्’ की स्थापना की गई।

● 31वां संशोधन (1974) —
लोकसभा की अधिकतम सदंस्य संख्या 547 निश्चित की गई। इनमें से 545 निर्वाचित व 2 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होंगे।

● 36वां संशोधन (1975) —
सिक्किम को भारतीय संघ में संघ के 22वें राज्य के रूप में प्रवेश प्रदान किया गया।

● 37वां संशोधन (1975) —
अरुणाचल प्रदेश में व्यवस्थापिका तथा मंत्रिपरिषद् की स्थापना की गई।

● 42वां संशोधन (1976) —
इसे ‘लघु संविधान’ (Mini Constitution) की संज्ञा प्रदान की गई है।

—इसके द्वारा संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’, ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए।

—इसके द्वारा अधिकारों के साथ-साथ कत्र्तव्यों की व्यवस्था करते हुए नागरिकों के 10 मूल कर्त्तव्य निश्चित किए गए।

—लोकसभा तथा विधानसभाओं के कार्यकाल में एक वर्ष की वृद्धि की गई।

—नीति-निर्देशक तत्वों में कुछ नवीन तत्व जोड़े गए।

—इसके द्वारा शिक्षा, नाप-तौल, वन और जंगली जानवर तथा पक्षियों की रक्षा, ये विषय राज्य सूची से निकालकर समवर्ती सूची में रख दिए गए।

—यह व्यवस्था की गई कि अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत आपातकाल संपूर्ण देश में लागू किया जा सकता है या देश के किसी एक या कुछ भागों के लिए।

—संसद द्वारा किए गए संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती देने से वर्जित कर दिया गया।

● 44वां संशोधन (1978) —
संपत्ति के मूलाधिकार को समाप्त करके इसे विधिक अधिकार बना दिया गया।

—लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं की अवधि पुनः 5 वर्ष कर दी गई।

—राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष्ज्ञ के चुनाव विवादों की सुनवाई का अधिकार पुनः सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय को ही दे दिया गया।

— मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को जो भी परामार्श दिया जाएगा, राष्ट्रपति मंत्रिमंडल को उस पर दोबारा विचार करने लिए कह सकेंगे लेकिन पुनर्विचार के बाद मंत्रिमंडल राष्ट्रपति को जो भी परामर्श देगा, राष्ट्रपति उस परामर्श को अनिवार्यतः स्वीकार करेंगे।

—‘व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार’ को शासन के द्वारा आपातकाल में भी स्थगित या सीमित नहीं किया जा सकता, आदि।

● 52वां संशोधन (1985) —
इस संशेधन द्वारा संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके द्वारा राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगाने की चेष्टा की गई है।

● 55वां संशोधन (1986) —
अरुणाचल प्रदेश को भारतीय संघ के अन्तर्गत राज्य की दर्जा प्रदान किया गया।

● 56वां संशोधन (1987) —
इसमें गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा देने तथा ‘दमन व दीव’ को नया संघीय क्षेत्र बनाने की व्यवस्था है।

● 61वां संशोधन (1989) —
मताधिकार के लिए न्यूनतम आवश्यक आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

● 65वां संशोधन (1990) —
‘अनुसूचित जाति तथा जनजाति आयोग’ के गठन की व्यवस्था की गई।

● 69वां संशोधन (1991) —
दिल्ली का नाम ‘राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र दिल्ली’ किया गया तथा इसके लिए 70 सदस्यीय विधानसभा तथा 7 सदस्यीय मंत्रिमंडल के गठन का प्रावधान किया गया।

● 70वां संशोधन (1992)–
भारतीय संविधान के भाग और अनुच्छेद:-

भारत, संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।

यह गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है। भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसमें अब 395अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं।

संविधान में सरकार के संसदीय स्‍वरूप की व्‍यवस्‍था की गई है जिसकी संरचना कुछ अपवादों के अतिरिक्त संघीय है। केन्‍द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति है।

भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्‍द्रीय संसद की परिषद् में राष्‍ट्रपतितथा दो सदन है जिन्‍हें राज्‍यों की परिषद (राज्‍यसभा) तथा लोगों का सदन (लोकसभा) के नाम से जाना जाता है।

संविधान की धारा 74 में यह व्‍यवस्‍था की गई है कि राष्‍ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगा जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा, राष्‍ट्रपति इस मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्‍पादन करेगा। इस प्रकार वास्‍तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है जो वर्तमान में नरेन्द्र मोदी हैं।

भाग विवरण:-

भाग-1 अनुच्छेद 1-4 संघ और उसका राज्य क्षेत्र, नए राज्य का निर्माण

भाग-2 अनुच्छेद 5-11 नागरिकता

भाग-3 अनुच्छेद 12-35 मौलिक अधिकार

भाग-4 अनुच्छेद 36-51 राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांत

भाग- 4ए अनुच्छेद 51ए नागरिकों के मौलिक कर्तव्य (1976 के 42वें संशोधन से जोड़ा गया था)

भाग-5 अनुच्छेद 52-151 संघ सरकार से सबंधित.

भाग-6 अनुच्छेद 152-237 राज्य सरकार से सबंधित.

भाग-7 अनुच्छेद 238 प्रथम अनुच्छेद के भाग ‘बी’ से जुड़ा है। 1956 में 7वें संविधान संशोधन से हटा दिया गया।

भाग-8 अनुच्छेद 239-242 केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन.

भाग-9 अनुच्छेद 243-243 O पंचायतें.

भाग-9 (क) अनुच्छेद 243 P-243 Z-G नगरपालिका.

भाग-18 अनुच्छेद 352-360 आपात उपबंध.

भाग-19 अनुच्छेद 361-367 प्रकीर्ण/विविध.

भाग-20 अनुच्छेद 368 संविधान संशोधन.

भाग-21 अनुच्छेद 369-392 अस्थायी, परिवर्तित और विशेष कानून.

भाग-22 अनुच्छेद 393-395 संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन.