मौर्य साम्राज्य

मौर्य साम्राज्य ( 323-185 ईसा पूर्व )
1. मौर्यवंश के स्त्रोत
● पुरालेखीय स्त्रोत, साहित्यिक स्त्रोत, विदेशी स्त्रोत एवं पुरातात्विक खुदाई से प्राप्त स्त्रोंतो द्वारा मौर्य वंश के विषय में ज्ञात होता है।
● कुछ बौद्ध लेख यथा जातक कथाएँ, दिव्यावदान एवं अशोकावदान।
● श्रीलंकाई लेख महावंश एवं दीपवंश भी मौर्य साम्राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण लेख है।
● पुराणों में भी मौर्यों की चर्चा की गई है।
● कौटिल्य द्वारा शास्त्रीय संस्कृत में लिखी गई अर्थशास्त्र भी एक महत्पूर्ण स्त्रोत है। यह राजनीतिक अर्थव्यवस्था अथवा शासन प्रबंध से सम्बंधित पुस्तक है।
● मेगस्थनीज़ द्वारा संकलित इण्डिका भी एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। यह लगभग नष्ट हो चुकी है एवंजिसे विभिन्न युनानी लेखकों की टिप्पणीयों द्वारा पुनर्जीवित किया गया है।
● विशाखदत द्वारा संस्कृत में रचित मुद्राराक्षस में चंद्रगुप्त द्वारा नंद वंश को समाप्त करनेके बारे में चर्चा की गई है। विशाखदत उत्तर वैदिक काल के समय का संकलन है।
● सोमवेद की कथासरितसागर, क्षेमेंद्र की वृहद्कथा मंजरी एवं कल्हण की रजतरंगिनी भी मौर्य वंश पर कुछ प्रकाश डालती है।
2. चंद्रगुप्त मौर्य ( 323 -298 BC )
● चंद्रगुप्त मौर्य ने कौटिल्य (चाणक्य) की सहायता से मौर्य वंश की स्थापना की।
● उसने साम्राज्य के पूर्वी भाग में सेल्युकस निकेटर को पराजित किया जो सिकंदर के बाद वहां का सम्राट बना था।
● सेल्युकस ने मेगस्थनीज को राजदूत के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था एवं इसनेअपनी पुस्तक ‘इंडिका’ में भारत की तत्कालीन स्थिति का वर्णन किया है।
● युनानी साहित्यों में चंद्रगुप्त को सेन्ड्रोकोट्टसकहा गया है।
● जुनागढ प्रशास्ति के अनुसार चंद्रगुप्त ने सौराष्ट्र में सिचाई कार्य के लिए एक झील का निर्माण करवाया जिसे सुदर्शन झील नाम दिया ।
● जीवन के अंतिम दिनों में उसने जैनधर्म को अपना लिया एवं भद्रबाहू के साथ दक्षिण भारत की तरफ चला गया। उसने स्वयं को भूखा रख श्रवनबेलागोला (मैसूर) में प्राण त्याग दिये ।
3. बिंदुसार (298-272 ई.पू.)
● चंद्रगुप्त के पश्चात् उसका पुत्र बिंदुसार गद्दी पर बैठा।
● बिंदुसार को अमित्रघात कहा जाता है अर्थात “दुश्मनों का संहार करने वाला”।
● बिंदुसार ने अपने ज्येष्ठ पुत्र सुमन (सुशिम) को तक्षशिला का राज्यपाल एवं अशोक को उज्जैन का राज्यपाल बनाया।
● उसने दक्षिण भारत के कर्नाटक तक अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार किया।
● बिंदुसार ने आजीवक सम्प्रदाय की पालना की।
● बिंदुसार की मृत्यु के बाद राजगद्दी के लिए अगले चार वर्षो तक संघर्ष चला एवं अशोक अपने छ: भाईयों का वध कर 272 ई्.पू. में सिहासन पर बैठा।
4. अशोक (272-232 ई.पू.)
● अशोक की माता का नाम शुभाद्रंगी या जनपद कल्याणी था।
● 260 ई.पू. में अशोक ने कलिंग युद्ध लडा जिसमें बहुत नरसंहार हुआ।
● भारतीय इतिहास में अशोक पहला सम्राट है जिसने अपने संलेखों को पत्थरों पर अंकित करवाया।
● वह कंलिग में हुए नरसंहार से बहुत आहत हुआ एवं इस युद्ध के पश्चात उसने जीत के लिए युद्ध त्याग कर दिया।
● अब उसने शांतिवाद का मार्ग अपनाते हुए एक सच्चे सम्राट की तरह पूरे क्षेत्र पर शासन किया।
● उसने लुम्बिनी का भ्रमण किया, जो बुद्ध का जन्म स्थान था। उसने एक आदेश (फतवा) जारी किया जिसे रूमिनीदेइ स्तंभ फतवा कहा जाता है जिसमें लुम्बिनी के लोगों के लिए करों में कमी करने का आदेश था। लुम्बिनी शाक्यमुनि का जन्म स्थान हैं।
● अशोक के तीन पत्नियां थी जिनका नाम असंधीमित्र चारूवकी (कौखकी) एवं पद्मावती था।
● उसके चार पुत्र थे जिनका नाम महेंद्र, तिवार, कुनाल एवं जौलक था।
● उसके दो पुत्रियां भी थी जिनका नाम चारूमती एवं संघमित्रा था।
● महेंद्र एवं संघमित्रा ने बौद्ध धर्म को अपनाया एवं बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका काभ्रमण किया।
● 232 ई.पू. में अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य वंश ज्यादा समय तक नहीं रहा। पूरा साम्राज्य पूर्व एवं पश्चिम दो भागों में विभाजित हो गया था। पूर्वी भाग अशोक के पौत्र दशरथ द्वारा संचालित किया गया।
● पश्चिमी भाग कुनाल द्वारा संचालित किया जा रहा था।
● वृहद्रथ मौर्य राजाओ की श्रंखला में अंतिम राजा था। एवं जिसका वध स्वयं उसके मुख्य सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा 185 ईसा पूर्व में किया गया।
5. अशोक के शिलालेख
● अशोक के शिलालेख भारत, नेपाल, पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में पाये जाते है।
● ये लेख उप-महाद्वीप के कुछ भाग में प्राकृत भाषा एवं ब्रहमी लिपी में थे, परन्तु उत्तर पश्चिमी भाग में ये इब्रानी भाषा एवं खरोष्ठी लिपी में थे।
● अशाके के लेखों को चट्टानी शिला लेख (रॉक शिलालेख) एवं स्तंभशिलालेख में वर्गीकृत किया गया है।● लगभग 400 ई.पू. में पणिनि ने अष्टाध्यायी लिखी जो संस्कृत व्याकरण पर आधारित थी, परन्तु लिपी का सबसे पहले एवं वृहद स्तर पर उपयोग अशोक द्वारा अपने शिलालेखों के लिए किया गया था।
● अशोक नाम केवल माइनर रॉक शिलालेख-I पर से प्राप्त होता है। अन्य शिलालेखों पर उसके दुसरे नाम देवनामप्रिय एवं प्रिर्यदर्शी प्राप्त होते है।
● भाब्रू शिलालेख से यह ज्ञात होता है कि अशोक को बुद्ध, धम्म एवं संघ में पूर्ण विश्वास था।
● रॉक शिलालेख-VII में उसने कहा है कि सभी सम्प्रदायों की इच्छा आत्मा नियंत्रण एवं मन की पवित्रता हैं।
● रॉक शिलालेख-XII में उसने सभी धर्मों के प्रति अपनी समान भावना की धारण व्यक्त की है।
● मुख्य शिलालेख संख्या में 14 हैं वे साम्राज्य की सीमाओं पर मौजूद है।
● जो शिलालेख विवरणीय है वे हैं -कंधार का शिलालेख (एकमात्र द्विभाषी शिलालेख)कलिंग शिलालेख (निजी प्रशासन की नीतियां)कल्सी शिलालेख एवंगिरनार शिलालेख
● रॉक शिलालेख XIII सभी शिलालेखों में सबसे लंबा है।
● ‘अशोक’ नाम का जिक्र मस्की शिलालेख (माइनर रॉक शिलालेख I) में किया गया है।
● रॉक शिलालेख XIII में कलिंग युद्ध की भयावहता का वर्णन है।
● अशोक के 10 स्तंभ लेख प्राप्त हुए है जिनमें से सात मुख्य स्तंभ लेख है एवं तीन गौण स्तंभलेख है।
● माइनर स्तंभ लेख I को ‘शिस्म शिलालेख’ भी कहा जाता है। यह संघ के विभाजन के बारे में बताता है।
● रूमिनिदे स्तंभ शिलालेख बुद्ध के जन्म के बारे में बताता है।
● कौशाम्बी के स्तंभ शिलालेख को जहांगीर द्वारा इलाहाबाद स्थानान्तरित कर दिया गया था।
● सोपारा एवं मेरठ के स्तंभ शिलालेखों को फिरोज तुगलक द्वारा दिल्ली स्थानान्तरित कर दिया गया था। उसने अशोक के शिलालेखों की व्याख्या करने का असंभव प्रयास किया।
● 1750 में टी पैन्थलर नामक अंग्रेज ने अशोक के शिलालेखो की खोज की ।
● 1837 में जेम्सप्रिंसेप ने अशोक के शिलालेखों की व्याख्या की।
6. मौर्य अर्थव्यवस्था
● जनसंख्या में सर्वाधिक प्रतिशत कृषकों का था। कृषि को अति महत्व दिया जाता था। जलाशयों एवं बांधों का निमार्ण किया गया एवं कृषि के लिए जल वितरण किया गया।
● उद्योग विभिन्न मंडलीयों का संघो में विभाजित किया गया संघ के मुखिया को ‘ज्येष्ठक’ कहा जाताथा।
● व्यापार राज्य द्वारा विनियमित किया जाता था। विदेशी व्यापार समुद्री मार्ग एवं भूमिगत मार्गों द्वारा किया जाता था।
● कौटिल्य के अनुसार पूर्ण कोषागार या भरा हुआ कोषागार राज्य की समृद्धि की गारण्टी थी।
● मौर्यकाल में भूमि का वर्गीकरण1. कृष्ठ – सिंचित भूमि2. अकृष्ट – असिंचित भूमि3. विवित – चारागाह भूम
● राजस्व का मुख्य स्त्रोत भूमि कर था एवं व्यापार कर आदि भी लगाया जाता था।
● ब्राहम्णों , बच्चो एवं अक्षय व्यक्तियों पर कर प्रणाली लागू नहीं थी।
● राजा की स्वयं की भूमि से प्राप्त आय को सीता कहा जाता था।
● साहूकारी प्रचलन में थी।
● पण एवं मासिक पंच के चिह्न युक्त क्रमश: चाँदी एवं ताँबे के सिक्के थे।
● काकिनी मासिक का एक चौथाई भाग थी।
7. मौर्य राजनीति एवं प्रशासनमौर्य साम्राज्य प्रांतो में विभाजित था यथा
(अ) उत्तर पठ या उत्तर पश्चिमी प्रान्त जिसकी राजधानी तक्षशिला थी।
(ब) अवन्ती जिसकी राजधानी उज्जैन थी।
(स) दक्षिण पठ जिसकी राजधानी स्वर्णगिरि थी।
(द) कलिंग जिसकी राजधानी वैशाली थी।
8. मौर्य साम्राज्य के प्राधिकारी
1. अमात्य – सवौच्च सैन्य प्राधिकारी, मेगस्थनीज द्वारा मजिस्ट्रेट एवं पार्षद भी कहे जाते थेएवं अशोक द्वारा ’महामात्य‘
2. समर्घ्थ – करों का नियंत्रण
3. सन्निधाता – मुख्य खजानची
4. अक्षपटलाध्यक्ष- महालेखाकार या बहीखाताध्यक्ष संभालने वाला प्राधिकारी
5. द्युताध्यक्ष – जुऍ पर नियंत्रण रखने वाला अधिकारी
6. द्वारका – शाही महल का मुख्य अधिकारी
7. युक्त – सचिवीय कार्य एवं लेखा कार्य का अधीनस्थ अधिकारी
8. रज्जुका – भूमि सर्वेक्षण एवं आंकलन के लिए जिम्मेदारी अधिकारी
9. प्रदेशिका – तहसील प्रशासन का अध्यक्ष
10. नगरीका – मुख्य कमांडर
11. जम्हारिक – संदेशवाहक
12. रक्षिणा – पुलिस
13. राष्ट्र –पाल – प्रान्तीय गर्वनर या राज्यपाल
● मुख्य प्रान्तों का नियंत्रण सीधे कुमारों (राजकुमारों) के हाथ में था।
● ग्राम प्रशासन की अंतिम ईकाई थी।
● ग्रामों के मुखिया को ग्रामिक कहा जाता था एवं ग्रामीणों के समूहों की देखभाल गोपा की सहायतासे स्थानिक द्वारा की जाती थी।
● मौय साम्राज्य के पास एक विशाल सेना थी एवं नौकरशाही कौटिल्य के सप्तांग सिद्धांत पर आधारित थी।
● प्रशासन कार्यों में राजा की सहायता के लिए मंत्रीपरिषद होती थी।
● पाटलीपुत्र नगर मौर्य नगरपालिका संबंधी कार्यो का प्रेरणास्त्रोतथी। मेगस्थनीज के अनुसार शहर का प्रशासन 30 सदस्यों की एक समिति द्वारा किया जाता था जिन्हे बराबर सदस्यों के पांच भागों में बांटा गया था।
9. मौर्य समाज एवं संस्कृति
● मेगस्थनीज के अनुसार मौर्य समाज सात जातियों में विभक्त था। यथा- दार्शनिक, किसान, सैनिक, चरवाह, कारीगर, मजिस्ट्रेट एवं पार्षद।
● मेगस्थनीज ने बताया कि दासता भारत में नहीं थी।
● घरेलू जीवन में संयुक्त परिवार चलन था।विधवा महिलाओं को समाज में एक आदरणीय स्थान प्राप्त था।
● वर्ण व्यवस्था राजकुमारों की इच्छानुसार कार्यरत थी

*मौर्यकाल (History Of India)** :—
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● सबसे प्राचीनतम राजवंश कौन-सा है— मौर्य वंश
● मौर्य साम्राज्य की स्थापना किसने की— चंद्रगुप्त मौर्य
● मौर्य वंश की स्थापना कब की गई— 322 ई. पू.
● कौटिल्य/चाणक्य किसका प्रधानमंत्री था— चंद्रगुप्त मौर्य का
● चाणक्य का दूसरा नाम क्या था— विष्णु गुप्त
● चंदगुप्त के शासन विस्तार में सबसे अधिक मदद किसने की— चाणक्य ने
● किसकी तुलना मैकियावेली के ‘प्रिंस’ से की जाती है— कौटिल्य का अर्थशास्त्र
● किस शासक ने सिंहासन पर बैठने के लिए अपने बड़े भाई की हत्या की थी— अशोक
● सम्राट अशोक की उस पत्नी का नाम क्या था जिसने उसे प्रभावित किया था— कारुवाकी
● अशोक ने सभी शिलालेखों में एक रुपया से किस प्राकृत का प्रयोग किया था— मागधी
● बिंदुसार ने विद्रोहियों को कुचलने के लिए अशोक को कहाँ भेजा था— तक्षशिला
● किस सम्राट का नाम ‘देवान प्रियादर्शी’ था— सम्राट अशोक
● किस राजा ने कलिंग के युद्ध में नरसंहार को देखकर बौद्ध धर्म अपना लिया था— अशोक ने
● कलिंग का युद्ध कब हुआ— 261 ई. पू.
● प्राचीन भारत का कौन-सा शासक था जिसने अपने अंतिम दिनों में जैनधर्म को अपना लिया था— चंद्रगुप्त मौर्य
● मौर्य साम्राज्य में कौन-सी मुद्रा प्रचलित थी— पण
● अशोक का उत्तराधिकारी कौन था— कुणाल
● अर्थशास्त्र का लेखक किसके समकालीन था— चंद्रगुप्त मौर्य
● मौर्य काल में शिक्षा का प्रसिद्ध केंद्र कौन-सा था— तक्षशिला
● यूनान के शासक सेल्यूकस ने अपने राजदूत मेगास्थनीज को किसके राज दरबार में भारत भेजा— चंद्रगुप्त मौर्य
● चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को कब पराजित किया— 305 ई. पू.
● मेगस्थनीज की पुस्तक का क्या नाम है— इंडिका
● किसके ग्रंथ में चंद्रगुप्त मौर्य के विशिष्ट रूप का वर्णन हुआ है— विशाखदत्त के ग्रंथ में
● ‘मुद्राराक्षस’ के लेखक कौन है— विशाखदत्त
● किस स्त्रोत में पाटलिपुत्र के प्रशासन का वर्णन है— इंडिका
● अशोक के शिलालेखों में कौन-सी भाषा थी— पाकृत
● किस मौर्य राजा ने दक्कन पर विजय प्राप्त की थी— कुणाल ने
● मेगास्थनीज द्वारा अपनी पुस्तक में समाज को कितने भागों में बाँटा गया था— पाँच
● ‘अर्थशास्त्र’ किसके संबंधित है— राजनीतिक नीतियों से
● किस शासक ने पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया— चंद्रगुप्त मौर्य ने
● पाटलिपुत्र में चंद्रगुप्त का महल किसका बना था— लकड़ी का
● किस अभिलेख से यह सिद्ध होता है कि चंद्रगुप्त का प्रभाव पश्चिम भारत तक फैला हुआ था— रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख
● सर्वप्रथम भारतीय साम्राज्य किसने स्थापित किया— चंद्रगुप्त मौर्य ने
● किस स्तंभ में अशोक ने स्वयं को मगध का सम्राट बताया है— भाब्रू स्तंभ
● उत्तराखंड में अशोक का शिलालेख कहाँ स्थित है— कालसी में
● अशोक के शिलालेखों को पढ़ने वाला प्रथम अंग्रेज कौन था— जेम्स प्रिंसेप
● कलिंग युद्ध की विजय तथा क्षत्रियों का वर्णन किया शिलालेख में है— 13वें शिलालेख में (XIII)
● कौन-सा शासक जनता के संपर्क में रहता था— अशोक
● किस ग्रंथ में चंद्रगुप्त मौर्य के लिए ‘वृषल’ शब्द का प्रयोग किया गया है— मुद्राराक्षस
● किस राज्यादेश में अशोक के व्यक्तिगत नाम का उल्लेख मिलता है— मास्की
● श्रीनगर की स्थापना किस मौर्य शासक ने की— अशोक
● किस ग्रंथ में शुद्रों के लिए ‘आर्य’ शब्द का प्रयोग हुआ है— अर्थशास्त्र में
● किसने पाटलिपुत्र को ‘पोलिब्रोथा’ कहा था— मेगास्थनीज ने
● मौर्य काल में ‘एग्रनोमाई’ किसको कहा जाता था— सड़क निर्माण अधिकारी को
● अशोक के बारे में जानने के लिए महत्पूर्ण स्त्रोत क्या है— शिलालेख
● ‘भारतीय लिखने की कला नहीं जानते हैं’ यह किसने कहा था— मेगास्थनीज ने
● बिंदुसार की मृत्यु के समय अशोक एक प्रांत का गवर्नर था, वह प्रांत कौन-सा था— उज्जैन
● किसने अपने पुत्र व पुत्री को बौद्ध धर्म के प्रचार व प्रसार हेतु श्रीलंका भेजा— अशोक ने
● कौटिल्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र कितने अभिकरणों में विभाजित है— 15
● अशोक का अभिलेख भारत के अलावा किस अन्य स्थान पर भी पाया गया है— अफगानिस्तान
● किस शिलालेख में अशोक ने घोषणा की, ‘‘सभी मनुष्य मेरे बच्चे है’’— प्रथम पृथक शिलालेख में
● किस स्थान से अशोक के शिलालेख के लिए पत्थर लिया जाता था— चुनार से
● किस महीने में मौर्यों का राजकोषीय वर्ष आरंभ होता था— आषाढ़ (जुलाई)
● किस जैन ग्रंथ में चंद्रगुप्त मौर्य के जैन धर्म अपनाने का उल्लेख मिलता है— परिशिष्ट पर्व में
● चंद्रगुप्त मौर्य का संघर्ष किस यूनानी शासक से हुआ— सेल्यूकस से
● एरियन ने चंद्रगुप्त मौर्य को क्या नाम दिया— सैंड्रोकोट्स
● किस ग्रंथ में चंद्रगुप्त मौर्य के लिए ‘कुलहीन’ शब्द का प्रयोग हुआ— मुद्राराक्षस
● किस ग्रंथ में दक्षिणी भारत के आक्रमणों का पता चलता है— तमिल ग्रंथ ‘अहनानूर’
● चंद्रगुप्त मौर्य का निधन कब हुआ— 297 ई. पू